हरि प्रदर्शनी की तैयारी

पिघलता हिमालय प्रतिनिधि

मुनस्यारी। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हरि सिंह जंगपांगी की याद में मल्ला दुम्मर में प्रतिवर्ष होने वाली हरि प्रदर्शनी इस बार ठीक दीपावली के मौके पर होनी है। इसके लिये हरि स्मारक समिति ने तैयारी कर ली है। आयोजन को लेकर ग्रामीणों में उत्साह है। ऐसे में दीपावली के पटाखे फूटेंगे और प्रदर्शनी में ग्रामीण थिरकेंगे।
उल्लेखनीय है कि आजादी के बाद से मल्ला दुम्मर में हरिसिंह ज्यू की याद में होने वाली इस प्रदर्शनी पर जोहार घाटी के समस्त स्वतंत्रता सेनानियों का स्मरण किया जाता है। साथ ही ग्रामीण प्रतिभाओं को खेलकूद, सांस्कृतिक मंच के माध्यम से अवसर मिलता है। घरेलू एवं कुटीर उद्योग प्रदर्शनी ग्रामीणों को उत्साहित करने वाली है। जिसमें घरेलू उत्पाद, कृषि, पुष्प, उनी वस्त्र, दन-पंखी कालीन, जड़ी-बूटी की प्रदर्शनी लगाई जाती है। जानकारों द्वारा इनका निरीक्षण कर विजेताओं को पुरस्कृत किया जाता है। मुख्य रूप से जंगपांगी बन्धुओं द्वारा इस आयोजन को मनाया जाता है परन्तु क्षेत्र के सभी लोगों को इसमें सादर निमंत्राण होता है और सभी के सहयोग से इस प्रदर्शनी को विस्तार दिया जाता है। आजादी के बाद से निरन्तर बिना किसी सरकारी सहायता के इस प्रदर्शनी को करवाना साहस की बात है। अपने बुजुर्गों, स्वतंत्रा सेनानियों का स्मरण के साथ युवा प्रतिभाओं को सम्मान और आपसी भाईचारे के लिहाज से यह अनुकरणीय उदाहरण भी है। समय के साथ कई प्रकार के उत्सव-महोत्सव शहरी ढब में रंगे आयोजन हो रहे हैं लेकिन अपने लोक की खुशबू के साथ होने वाली हरि प्रदर्शनी का सानी नहीं। जिसमें मल्ला दुम्मर, तल्ला दुम्मर, दरकोट, दरांती, रांथी, जलद, तिकसैन से लेकर दूर-दूर तक के लोग पहुंचते हैं। महिला मंगल दलों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देखने लायक होती हैं। यह प्रस्तुतियां उन कलाकारों से ज्यादा उम्दा होती हैं जिन्हें स्टार नाइट का ठेका शहरों में दिया जाता है या जो ग्लैमर के साथ शो करने के आदी हो चुके हैं।
हरि प्रदर्शनी को लेकर समिति के अध्यक्ष ललित सिंह जंगपांगी, गंगा सिंह जंगपांगी, किशन सिंह जंगपांगी, लोकबहादुर सिंह जंगपांगी, नरेन्द्र सिंह जंगपांगी, लक्ष्मण सिंह पांगती, प्रधान पंकज बृजवाल, देवेन्द्र सिंह, हरीश धपवाल, मनोज धर्मशक्तू, गोकर्ण सिंह मर्तोलिया, चन्द्र सिंह लस्पाल, मंगल सिंह मर्तोलिया, मनोज जंगपांगी, राजेन्द्र सिंह मर्तोलिया, शंकरसिंह धर्मशक्तू, लक्ष्मण राम स्थानीय स्तर पर जुट हुए हैं।

इमला से निकला दल गोरी के किनारे किनारे तम्बू लगाते हुए पहुंचता था बुर्फू

पि.हि.प्रतिनिधि 
कल्पना करिये वह दृश्य कैसा होगा जब यात्री पैदल हों और नदी किनारे-किनारे यात्रा चल रही हो। कई दिनों की इस यात्रा में कई स्थानों पर रुकना पड़ेगा और पड़ाव डालना होगा। जब रुकना ही है तो विश्राम के लिये अपने तम्बू लगाने पड़ेंगे। ऐसी साहसिक यात्राएं अब नहीं होती हैं। संसाधनों की कमी के उन दिनों में लोगों में साहस और कर्मठता अधिक थी। नदी के किनारे-किनारे तम्बू लगाकर विश्राम और फिर आगे की यात्रा का सुख-दुःख भोग चुके इमला के उत्तम सिंह जंगपांगी जी आज पिघलता हिमालय की इस भेंटवार्ता में हैं।
जोहार घाटी में बुर्फू गाँव के नाथू सिंह, मान सिंह, पदम सिंह तीन भाईयों के बड़े परिवार से बात शुरु करते हैं। इन मेहनती भाईयों में नाथू सिंह जंगपांगी के दो पुत्र हुए- माधो सिंह और शेर सिंह। फिर माधो  सिंह जी के पुत्र हुए इन्द्र सिंह ;इनके पुत्र हैं हयात सिंह और उमेश सिंह, उत्तम सिंह ;इनके पुत्र हैं संदीप, प्रहलाद सिंह  ;इनके पुत्र हैं आयुष। शेर सिंह जंगपांगी जी के पुत्र हुए मंगल सिंह ;इनके पुत्र हैं देवेन्द्र सिंह देबू। माइग्रेस में मल्ला जोहार से नंगर यानी गर्म घाटियों को आने के क्रम में जंगपांगियों के ये परिवार ‘इमला’ आया करते थे। मदकोट से 2 किमी चढ़ाई चढ़ते ही खूबसूरत ग्राम इमला है।
पिता स्व.माधोसिंह व माता श्रीमती सुशीादेवी के घर जन्मे उत्तम सिंह जंगपांगी अपने बचपन को याद करते हुए बताते हैं कि बुर्फू से जंगपांगियों के परिवार कई जगह गये जिसमें से उनके बुजुर्ग इमला आया करते थे। मूल से व्यापारी उनके दादा जी अपने भाईयों के साथ तिब्बत व्यापार में सक्रिय थे। इसी परम्परा को उनके पिता व चाचा ने बनाये रखा। प्रकृति और मौसम के साथ सामंजस्य बनाते हुए इनका परिवार हर साल बुर्फू जाता और इमला आता था। गोरी नदी के किनारे-किनारे तम्बू लगाते हुए पूरा परिवार एक स्थान से दूसरे स्थान जाता। इस दस में बड़े-बूढ़े, बच्चे और पशु धन के साथ गृहस्थ का सामान होता था।
63 वर्षीय उत्तम सिंह जी ने प्राइमरी शिक्षा इमला से ही ली। इण्टरमीडिएट मुनस्यारी से करने के बाद पिथौरागढ़ डिग्री कालेज पढ़ा। स्नातक की पढ़ाई के दौरान इनका चयन बैंक के लिये हो गया। सन् 2015 मई में लीड बैंक चम्पावत से अग्रणीय जिला प्रबन्ध्क के पद से यह सेवानिवृत्त हुए। इमला ग्राम से ज्यादातर जंगपांगी परिवार बाहर निकल चुके हैं जो पूजा व कार्यविशेष में अपने ग्राम जाते हैं। यहाँ रहने वाले इमलाल परिवार क्षेत्रा में सक्रिय हैं। ग्राम में जंगपांगियों ने स्थानीय देव सहित अपने इष्ट को स्थापित किया है। जिसे पंचधाम के रूप में जानते हैं। पहले से ग्राम के लोग जौलजीवी मेले के लिये भी सक्रिय रहते थे और अपने उत्पदों के साथ दुकान सजाते थे।
मल्ला दुम्मर हरिप्रदर्शन में सक्रियता से जुड़े उत्तम सिंह बताते हैं कि प्रदर्शनी में व्यवस्थाओं को रूप देने के लिये उनके पिता बेहद सक्रिय थे। नरसिंह जंगपांगी जी मुख्य लोगों में रहे हैं। सन् 1977 में स्टेट बैंक मुनस्यारी में लगने के समय से उत्तम सिंह जंगपांगी स्वयं भी इस प्रदर्शनी के लिये सक्रिय हो गये और आज भी युवाओं को मार्गदर्शन कर रहे हैं।