यौगिक क्रियाओं से कोरोना का बचाव

डाॅ.दीपिका जोशी
कोरोना वायरस कई प्रकार के विषाणुओं का एक समूह है जो स्तनधरियों और पक्षियों में रोग उत्पन्न करता है। यह आर.एन.ए. वायरस होता हैं। इनके कारण मानव में श्वसन तंत्रा संक्रमण पैदा हो सकता है। जिसकी गहनता हल्की सर्दी जुकाम से लेकर अति गम्भरी जैसे मृत्यु तक हो सकती है। गाय और सुअर में इनके कारण अतिसार हो सकता है जबकि इनके कारण मुर्गियों में श्वास तंत्र के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। इनकी रोकथाम के लिये कोई टीका ;वैक्सीन या विषाणुरोध्ी अभी उपलब्ध् नहीं है और उपचार के लिए प्राणी की प्रतिरक्षा प्रणाली निर्भर करती है। अभी तक रोग लक्षणों का उपाचार किया जा रहा है ताकि संक्रमण से लड़ते हुए शरीर की शक्ति बनी रहे। अभी तक इस वायरस से विश्व में दस लाख 26 हजार से ज्यादा व्यक्ति प्रभावित हुए हैं तथा 54 हजार से अधिक मृत्यु हो चुकी हैं। जिसमें भारत में 2567 लोग प्रभावित हैं तथा 70 ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। योग तथा आयुर्वेद के ज्ञान के कारण विकसित देशों की तुलना में भारत की मृत्यु दर तथा कोरोना का प्रभाव कम है।
योग भारत में प्रचलित एक आध्यात्मिक प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम होता है। पहली बार 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 22 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दी है।
योग चिकित्सा एक प्राचीन पद्धति है। यह सरल और सर्वसुलभी है। वर्तमान समय में कोई भी योग से अनभिज्ञ नहीं है। इससे हम स्वयं और अपने परिवार की चिकित्सा कर सकते हैं। इसमें मन व शरीर भी स्वस्थ्य होता है। योग चिकित्सामें अनुशासन का पालन किया जाता है जिससे मनुष्य में अनुशासन व संयम का विकास होता है।
आध्ुनिक चिकित्सा दमनकारी दिकित्सा है जो शरीर में उभरने वाले विकारों को दबाती है। जबकि योग चिकित्सा रोग के लक्षणों को ही नहीं बल्कि रोग का ही समूल नाश करती है। वर्तमान में हम सभी कोरोना कोविड-19 जैसी महामारी से जूझ रहे हैं। इससे बचाव के लिए कुछ यौगिक क्रियाएं उपयोगी हैं। यौगिक क्रियाओं से हमारी रोग प्रतिरोध्क क्षमता बढ़ती है। साथ ही वायरस से बचने के लिए हमें अपने श्वसन तंत्रा को भी मजबूत व स्वस्थ्य बनान होगा। वर्तमान परिस्थिति में व्यक्ति को साधरण फ्रलू ;जुकाम, खांसी आदिद्ध में दवा खाने व अस्पताल जाने से बचना चाहिये ओर अपनी दिनचर्या में यौगिक क्रियाओं को शामिल करके स्वयं व अपने परिवार की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना चाहिये।
हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका के लए प्राणवायु आवश्यक है। श्वसन क्रिया दो पूर्णतः भिन्न-भिन्न क्रियाओं श्वास और प्रश्वास का सम्मिलित रूप है। जिस क्रिया के द्वारा श्वसन को अन्दर लिया जाता है उसे श्वास करते हैं और जिस क्रिया से त्याज्य गैसों को बाहर निकाला जाता है उसे प्रश्वास कहा जाता है।
कोरोना से बचाव के लिये मुख्य यौगिक क्रियाएं-
क. आसन- 1. सूर्य नमस्कार , 2. भुजंगासन, 3. उष्ट्राासन, 4. सर्पासन, 5. धनुरासन, 6. मार्जरी आसन, 7. शशांकासन, 8. गोमुखासन, 9. कमरासन।
ख. प्राणायाम- 1. सूर्यभेदी, 2. भस्त्रिाका, 3. नाड़ी शोध्न, 4. भ्रामरी, 5. उज्जायी।
ग. बन्ध्- 1. जालन्ध्र बन्ध्
च. मुद्रा- 1. खेचरी मुद्रा, 2. हृदय मुद्रा, 3. तड़ागी मुद्रा
छ. षटकर्म- 1. नेति, 2. वमन
ज. हवन
झ. ध्यान- उ स्तवन, गायत्राी मंत्र व महामृत्युंजय मंत्रा उच्चारण
प्राकृतिक चिकित्सा- प्रातःकाल ध्ूप का सेवन अति आवश्यक है। गुनगुने पानी का ही सेवन करें। सप्ताह में एक दिन पूरे शरीर की गीली लपट व भाप स्नान, पीठ व पैरों की सिकाई करनी चाहिये। लाल रंग के तेल से पीठ व छाती की मालिश करें व फेशियल स्टीम प्रतिदिन लें। कटि स्नान, पाद स्नान एवं एनिमा लें। छाती पर सरसों के तेल की मालिश करनी चाहिये।