कोरोना का भस्मासुर

पिघलता हिमालय

कोरोना वायरस ने पूरे विश्व में हड़कम्प मचा दिया है। चीन से शुरु होकर अमेरिका व ईरान में सैकड़ों लोगों की मौत के बाद दक्षिण-पूर्वी एशिया में सैकड़ों मामले सामने हैं। थाइलैंड, भारत, इंडोनेशिया, श्रीलंका, मालदीव, बंग्लादेश, नेपाल, भूटान सहित चारों ओर यह वायरस फैला है। कोरोना महामारी से निपटने के लिये विश्व के देशों ने हाथ-पैर मारने शुरु कर दिये हैं और अपने नागरिकों से घर में सिमट कर रहने को कहा है ताकि वायरस फैलने से बचा जा सके।
कोरोना वायरस के बारे में विशेषज्ञ जुटे हुए हैं और इसकी रोकथाम के लिये जितना ज्यादा हो सकता है किया जा रहा है। लेकिन यह तो जान ही लेना चाहिये कि कोरोना का भस्मासुर क्या है? दरअसल दुनियाभर की तेज रफ्रतार में यह भुला दिया गया है कि प्रकृति के अपने नियम हैं। नियम विरुद्ध आचरण और मनमानी का परिणाम ही कोरोना है। चीन जैसे शक्तिशाली देश को ही सबसे पहले कोरोना ने निवाला बनाया। अपने विकास के लिये दूसरे के विनाश का रास्ता चुनने वाले व्यक्ति और देश यह कतई नहीं जानते हैं कि कोई भी वरदान तब विनाश बन जाता है जब उसका दुरुपयोग किया जाने लगे। कोरोना वायरस भी इसी प्रकार का भस्मासुर है। इसका नाच इतना ताण्डव मचा चुका है कि दुनिया के देशों में हाहाकार मचा है। इन्तजार है शिव रूप में कोई इसे नचाए और भस्म कर दे।
शिव और भस्मासुर की कथा को जानने वाले बातों को आसानी से समझ सकते हैं। भस्मासुर नामक दैत्य ने शिव को प्रसन्न कर ऐसा वरदान मांगा कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जायेगा। वरदान मिलने के बाद भस्मासुर शिव को ही भस्म करने दौड़ पड़ा था। परेशान शिव ने बचने के लिये मोहनी रूप धर नृत्य किया और भस्मासुर भी नाचने लगा। नाचते नाचते उसने अपना हाथ अपने ही सिर पर रख दिया और भस्म हो गया था। ऐसा ही कुछ कोरोना भी है। चीन ने जो प्रयोग अपने वहाँ किये, उसे पता नहीं था कि वह उसे ही भस्म करने वाला है। कोराना ही क्या, ऐसे न जाने कितने वायरस दुनिया में फैल चुके हैं जो भविष्य में भी परीक्षा बनकर सामने होंगे। इसलिये जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने और अपने परिवार को संभाले। हमारे संस्कार, हमारे नियम-ध्र्म, हमारी मान्यताएं कोरी बकवास नहीं हैं। इनके साथ ही विज्ञान को जानना भी जरूरी है। अपने को अनुशासन में रखने से अपने समाज और अपने देश को सुरक्षित किया जा सकता है। कोराना ने पूरी दुनिया में यह सन्देश दे डाला है कि यदि महामारी पफैली तो सबकुछ मिट्टी में मिलते देर नहीं लगेगी।

ठहर सा गया है जन-जीवन

कार्यालय प्रतिनिधि
कोरोना वायरस से बचाव के लिये सारे उपायों के साथ उत्तराखण्ड भी अलर्ट है। पूरा मार्च का महीना कोरोना कफ्रर्यू से घिरा रहने के बाद अब अप्रैल भी सामान्य नहीं है। सुरक्षा इन्तजामों का जाल शासन प्रशासन ने बिछाया है लेकिन वह भी उतना ही कर सकते हैं जितना उसके पास है। ऐसे में सभी ने जागरुकता दिखानी है। कोरोना के भय से सबकुछ ठहर सा गया और इससे सारी व्यवस्थाएं चरमरा चुकी हैं। स्कूल-कालेज प्रतियोगिता-परीक्षा सभी प्रभावित हैं। नव संवत्सर ‘प्रमादी’ का स्वागत भी सादा ही रहा। इस अवसर पर होने वाले जलसे-जुलूस स्थगित रहे। प्रसिद्ध मन्दिरों व मेलों में रोक का असर भी रहा। प्रदेश में होने वाली धर्मिक यात्राएं भी प्रभाव में हैं। ऐसे में ग्रीष्मकालीन पर्यटन को भी सन्देह से देखा जा रहा है। पर्यटन के मौसम में छुटपुट कारोबार कर रोटी जुटाने वाले ताक रहे हैं कि स्थिति ठीक हो और यात्राी पहाड़ आएं लेकिन अधिकांश बुकिंग रद्द होने से मायूस हैं।
देशभर में फैले कोरोना वायरस के संक्रामित लोगों तादाद बढ़ती जा रही है। पचास से ज्यादा लोगों के सैंपल लेकर हल्द्वानी भेजे गये हैं। पन्तनगर एयरपोर्ट में तैनात स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा थर्मल स्कैनिंग की जा रही है। पन्तनगर विश्वविद्यालय के शैक्षणिक डेयरी फार्म द्वारा परिसर में दूध् बांटने के लिये लगाए लगाए गए कैंनों ;दूध् के बर्तनद्ध में अब टोटियांे की सहायता से दूध् दिया जा रहा है। पहले यह दूध् बर्तन का ढक्कन खोल कर खुले में दिया जाता था।
संक्रमण से बचाव के लिये सबसे पहले प्रदेश का सुप्रसिद्ध पूर्णागिरी मेले पर प्रतिबन्ध् लगाया गया। इसके बाद अन्य मेले, मन्दिरों में रोक लगा दी गई। मन्दिर समितियों ने भी इसमें योगदान दिया है। धर्मिक आयोजनों को भी सीमित किया गया है। धर्मिक नगरी हरिद्वार में इन दिनों जहाँ हजारों श्रद्धालु पहँुचते थे, सन्नाटा पसरा हुआ है। यहाँ आने वाले विदेशी पर्यटकों पर नजर रखी जा रही है। हैड़ाखान मन्दिर में इटली समेत अन्य देशों के विदेशी पर्यटकों को मन्दिर से हटा दिया गया है। कोरोना का व्यावसायिक कार्यों में तो जबर्दस्त प्रभाव पड़ा है। स्थितियों को देखते हुए होटल व्यावसायियों ने सहयोग किया है। नैनीतात, मसूरी सहित पर्यटक स्थलों पर होटल, रिजाॅर्ट बन्द कर लोगों को जागरुक किया है। मुक्तेश्वर, भीमताल, रामनगर, मुनस्यारी सभी जगत पर्यटकों की बुकिंग न होने से सन्नाटा है।
राजनीतिक पार्टियों ने भी अपने कार्यक्रमों को परिवर्तित कर दिया है। भाजपा ने अपनी बैठकों व प्रस्ताविक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है। आम आदमी पार्टी का सदस्यता अभियान आॅनलाइन है लेकिन इसने भी अपने सम्पर्क अभियान को रोका है। कांग्रेस द्वारा भी अपने कार्यक्रमों को बदल दिया गया है। सभी ने मिलकर कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव की अपील की है। मंत्रिमण्डल की बैठक के बाद जन प्रतिनिध्यिों को सभाओं, जनता दरबार कार्यक्रम रद्द करने को कहा गया।
कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार ने स्टेडियम, कालेज और गेस्ट हाउसों को क्वारंटीन सेन्टर बनाया है। अस्थायी अस्पताल की तैयारियां भी हो चुकी हैं। किसी भी स्थिति से निपटने के लिये सरकार ने रेडअलर्ट जारी किया है। सेना ने भी कोरोना के कहर से बचने की तैयारी की है। छुट्टी पर गए जवानों की वापसी पर पिफलहाल रोक लगा दी है। जो लोग छुट्टी काटकर वापस आए हैं, उन्हें 14 दिन क्वारंटीन पर रखा जा रहा है।
कोरोना वायरस के बचाव के लिये हाईकोट की ओर से तय किया गया है कि 15 अप्रैल तक केवल अति आवश्यक मुकदमों की ही सुनवाई होगी। निर्देश के अनुसार हाईकोर्ट में केवल मृत्युदण्ड, बन्दी प्रत्यक्षीकरण सुरक्षा, सम्पत्ति ध्वस्तीकरण, जमानत प्रार्थना पत्रा ही सुनवाई होगी। उपरोक्त में मृत्युदण्ड के अलावा अन्य त्वरित मामलों की सुनवाई के लिये अधिवक्ताओं को मामले की अर्जेंसी का कारण बताना होगा।
इस प्रकार जन-जीवन ठहर सा गया है लेकिन यह सब करना भी जरूरी है ताकि किसी प्रकार का नुकसान न हो। इसमें सभी को सहयोग देना है।

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