राम अनन्त हैं—पार्टी का बनाकर नहीं देखा जाना चाहिये। वह सबके हैं।
गीता उप्रेती
अयोध्या में 5 अगस्त 2020 को राम मन्दिर भूमि पूजन के बाद से अभी तक वही चर्चा है। चर्चा हो भी क्यों ना, राम अनन्त हैं। हाँ, राम को किसी पार्टी का बनाकर नहीं देखा जाना चाहिये। राम सनातन धर्म की परम्परा हैं। वह सबके हैं। लेकिन भूमि पूजन के बाद जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं इसे चुनाव के रंग में रंगने का खेल शुरु होने लगा है। उत्तराखण्ड में 2022 में विधानसभा चुनाव भी होंगे, ऐसे में मन्दिर काज में अपने को अगुवा सिद्ध करने के लिये नेतागण जुटने लगे हैं। एक-दूसरे को खिजाना मर्यादा के विपरीत होगा। इसे चुनाव चर्चा बनाना भी ठीक नहीं। राम काम में जुटना भारतीय संस्कृति का प्रतीक हो सकता है लेकिन जिस प्रकार से ‘सड़क-ताण्डव’ होने लगे हैं वह रुक जाने चाहिये।
रामजन्म भूमि पूजन कार्यक्रम ऐतिहासिक रहा। प्रधानमंत्री मोदी और यूपी के मुख्य मंत्री आदित्य योगी के साथ यह पूरा आयोजन ऐसा संयोग है जो सदियों बाद बना, इसलिये भी लोग उमंगित हैं। आम जनता की उमंगों के बीच अच्छी बात है कि सभी पाटियों के लोगों ने भागीदारी की। सीध्ी सी बात है जब हम रामलीला, होली, दीपावली बड़े त्यौहार साथ-साथ करते हैं तो भारतवर्ष के इस बड़े आयोजन को भी मिलकर ही करना था। हाँ, संयोग से जो सत्ता में है वह अगुवाई करेगा। ऐसा ही हुआ भी। पूरा आयोजन भव्य हो गया लेकिन बात को उघाड़ कर अर्थ-अनर्थ करने वाले सक्रिय हैं। ऐसे में पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं को भी स्पष्ट शब्दों में कहना चाहिये कि इसे किसी धारा का नहीं बनाया जाए क्योंकि सारी धाराएं ‘राम’ के लिये ही हैं।
पूरे देश की तरह उत्तराखण्ड में भी लोगों ने भूमि पूजन के दिन खूब खुशियाँ मनाईं। दिनभर पाठ किये, भजन-कीर्तन हुए, झांकी निकाली, ध्वज वितरण किया, मिष्ठान बांटा, सायंकाल दीप जलाए और आतिशबाजी की। वैसे भी देवभूमि आस्था का केन्द्र है। भूमि पूजन कार्यक्रम को लेकर प्रमुख सन्त यहाँ से अयोध्या गये। मन्दिर निर्माण के लिये चाँदी की ईंटें भी भेजी गईं। पहाड़ से लेकर मैदान तक आम जनता का जश्न उनकी आस्था थी लेकिन राजनीति के कुचक्र में फंसे मर्यादा भूल न करें। अयोध्या आस्था के अलावा वोटों का मीटर भी रहा था। अयोध्या में मन्दिर के नाम पर सारी पार्टियाँ कूदती रही हैं और वर्तमान तो भाजपा का है। मन्दिर के इस काज में भी इस पार्टी को ही बढ़त मिली है। इसके बाद कांग्रेस ने यह बताया कि ताला खुलवाने से लेकर मन्दिर का रास्ता प्रशस्त करने में प्रधन मंत्री स्व. राजीव गांध्ी का योगदान रहा था। आस्था का उबाल देखते हुए सभी बड़े नेताओं ने राम नाम का जाप किया है।
एक बात और- भाजपा से घृणा करने वाले, मोदी से नफरत करने वाले, तथाकथित कामरेड, नास्तिक बनने का दिखावा करने वालों ने इस पूरे आयोजन के दौरान और आज तक भी चुप्पी कर ली। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि यदि कोई कुछ बोलता है तो उसे उत्पीड़ित किया जायेगा। जबकि सच्चाई यह है कि किसी न किसी रूप में सभी जुड़े हुए थे। जबकि शीतल हृदय लोगों ने बेबाक टिप्पणी कर विरोध् भी किया। विरोध् इस बात का कि राम को किसी एक का मत कहो। यही सत्य भी है कि राम अनन्त हैं, उनकी महिमा अनन्त है।